अपने ही शब्दों को कैसे भूल गए हम?

अपने ही शब्दों को कैसे भूल गए हम?

News & Current Affairs

22/03/2015 9:59AM

Episode Synopsis "अपने ही शब्दों को कैसे भूल गए हम? "

कुछ बरस पहले तक हमारी रोज़मर्रा की बातचीत का हिस्सा रहे प्याली, तश्तरी, ग़ुस्लख़ाना जैसे शब्द अब कहीं खो से गए हैं. उर्दू के मशहूर लेखक और आलोचक शम्सुर्रहमान फ़ारुख़ी बता रहे हैं कि ऐसा क्यों हुआ. पूरी बातचीत बीबीसी हिंदी रेडियो पर प्रसारित की जाएगी आज (रविवार) शाम 7:30 बजे.

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