202. प्रभावशाली गुण की पहचान

02/12/2025 4 min Temporada 1 Episodio 202

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Episode Synopsis

श्रीकृष्ण कहते हैं, "सत्वगुण, रजोगुण और तमोगुण नामक प्रकृति से उत्पन्न तीन गुण अविनाशी जीवात्मा को शरीर में बांधते हैं (14.5)। इनमें, सत्वगुण निर्मल होने के कारण आत्मा को सुख और ज्ञान के भावों के प्रति आसक्ति उत्पन्न करके उसे बन्धन में डालता है (14.6)। रजोगुण की प्रकृति इच्छा है। यह कामना और आसक्ति  को जन्म देता है और आत्मा को कर्म में बांधता है (14.7)। तमोगुण अज्ञान से उत्पन्न होता है और देहधारी जीवात्माओं में मोह का कारण है। तमोगुण सभी जीवों को असावधानी, आलस्य और निद्रा के द्वारा भ्रमित करता है" (14.8)।मूलतः, प्रकृति से उत्पन्न तीन गुण आत्मा को, जो कि परमात्मा का बीज है, भौतिक शरीर से बांधने के लिए उत्तरदायी हैं।श्रीकृष्ण आगे कहते हैं, "सत्वगुण सुख में बांधता है, रजोगुण कर्म में, जबकितमोगुण ज्ञान को ढककर आत्मा को प्रमाद में रखता है 14.9)। कभी-कभी सत्वगुण प्रबल होकर रजोगुण और तमोगुण पर हावी हो जाता है; कभी-कभी रजोगुण, सत्वगुण और तमोगुण पर हावी होता है; और कभी-कभी तमोगुण, सत्वगुण और रजोगुण पर हावी हो जाता है" (14.10)। इसका तात्पर्य यह है कि हम अलग-अलग समय पर इन गुणों के विभिन्न अनुपातों के संयोजन के प्रभाव में रहते हैं। जिस प्रकार तीन प्राथमिक रंग, लाल, पीला और नीला, मिलकर अनन्त रंग उत्पन्न करते हैं, उसी तरह ये तीन गुण हमारे आस-पास दिखाई देने वाले विविध व्यवहारों के लिए उत्तरदायी हैं।अगला प्रश्न है, यह कैसे पता चले कि किसी निश्चित समय पर कौन सा गुण हमें बाँध रहा है। श्रीकृष्ण स्पष्ट करते हैं, "जब सत्व गुण प्रबल होता है तो शरीर के सभी द्वार ज्ञान के प्रकाश से आलोकित हो जाते हैं (14.11)। जब रजोगुण प्रबल होता है तब लोभ, सकाम कर्म का प्रारम्भ, बेचैनी, अनियंत्रित इच्छा एवं लालसा के लक्षण प्रकट होते हैं (14.12)। तमोगुण जब हावी होता है तो अंधकार, जड़ता, असावधानी और भ्रम पैदा करता है" (14.13)। तमोगुण केहावी होने पर हम सो जाते हैं। रजोगुण हमें कर्म करने और सिद्धि के लिए प्रेरित करता है। सत्वगुण सीखने और ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रेरणादायी है। इसलिए, गुण ही हमसे उत्पन्न होने वाले प्रत्येक कार्य के वास्तविककर्ता हैं। जागरूकता मूलतः उस गुण को पहचानने की क्षमता है, सके नियंत्रण में हम किसी भी क्षण होते हैं।