Listen "भोर से पहले"
Episode Synopsis
भोर से पहले... तैश में आकर भभक उठे दीपकआखिर अपनी बाती की कालिख देख रहे हैं,जो उनसे आशना होकर आए थेवो सब पतंगे आसपास मृत पड़े है। वायुवेग से दौड़ पड़े अश्वअपने घुड़सवारों के रक्तरंजित शव,अपनी काठी पर सजाए गर्दन लटकाए अस्तबल को लौट चले हैं। लहरें अपना खेल दिख करसमुद्र के शून्य को लौट चलीं हैंतट पर विनाश को अबकुछ भी शेष नही है।स्वयं अपने वेग से थककरपवन, अब शयन को चली है,उसकी चाल से उन्माद लेने वाले ये वन, खलिहान, जलाशय सब सो चुके हैं। देवालय सब शांत हैंपटाक्षेप, निशक्त हैं;उनके अहातों के सभी प्रार्थीस्वप्न विहीन नींद में खोए है। एक निर्वात सा है, शून्य सामानो प्रकृति पराजित सा महसूस करती होएक युग खो दिया हो उसने जैसेऔर भोर से कुछ पहले आस लगाए बैठी होकी सूर्य की पहली किरण के साथ,युगांधर आएगा। -विदित
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