Episode 2 - Ratan Singh's podcast

19/07/2020 0 min
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Episode Synopsis

बचपन की यादें..बचपन की यादें........ मन के कैन्वस पर बनी एक तस्वीर हैं ये, जिसकी रंगत वक्त के संग गहराती है। रंग कई हाथों ने इसमें भरे प्यार से, गर एक फीका पड़ा तो पूरी धुंधलाती है।बचपन की यादें...... . तसव्वुर हैं उस बहारे - गुलशन का ये, जहाँ सिर्फ़ मासूमियत के फूल मुस्कुराते हैं। जिनकी खुशबू ज़हन में महकती रहे, जो ढेरों पल ताज़गी भरे दे जाते हैं। बचपन की यादें....... दिल की तिजोरी में बन्द वो ख़ज़ाना है ये, बढ़ती जाती क़ीमत ज्यों होता पुराना है ये। इसका खरापन हर ज़ेवर को शर्मसार करे, किसी मिलावट से हर सूरत बेगाना है ये। बचपन की यादे............ जानो किसी भूख से कम न होती हैं ये, बार बार बैचेन हो पलटकर आ जातीं है ये। चन्द खिलखिलाहट के निवाले, पानी आँखों का, नोश फ़रमाकर, फिर आने को लौट जातीं हैं ये। बचपन की यादें.. बचपन की यादें।

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